परिचय
विश्व बंधु सेवा संस्थान एक आध्यात्मिक और सामाजिक संगठन है, जिसकी स्थापना ऋषि आचार्यश्री शिवांशजी महाराज ने भारतीय ट्रस्ट अधिनियम, 1882 की धारा 60 के तहत भारत सरकार के साथ पंजीकृत (पंजीकरण संख्या 17832416190) है और इसका मुख्यालय नई दिल्ली में है।
संस्थान की स्थापना का उद्देश्य मनुष्य के अंदर सोयी उसकी अनन्त दिव्य शक्तियों एवं सम्भावनाओं को जागृतकर आत्म-कल्याण के साथ-साथ परस्पर सहयोग , सहानुभूति एवं समर्पण द्वारा एक सुन्दर समाज का निर्माण करना है । वर्तमान में यह संस्थान पूज्यश्री के निर्देशन में मानव -कल्याण के मुख्य दो आयामों पर सक्रिय है । पहला – निष्काम सेवा और दूसरा – सामाजिक सद्भाव ।
निष्काम उत्कृष्ट मानव सेवा एवं सामाजिक सद्भाव जागृति के उद्देश्य से ‘विश्व बंधु सेवा संस्थान’ आप सभी को सानुरोध आत्मीय आमंत्रण देता है । आप स्वेच्छा से आएं और मानव सेवा एवं सामाजिक सद्भाव की इस पावन पुण्य-सलिला गंगा को ऋषिप्रज्ञ आचार्यश्री शिवांश जी महाराज के दिव्य निर्देशन में मानवता के पवित्र जल से जन-जन को तारते हुए देवत्व के महासागर तक ले जाने में आत्म गौरव का अनुभव करें ।

प्रकल्प

बाल उत्थान विद्यालय
सेवा की मुख्य धारा के अंतर्गत संस्थान निर्धन ,असहाय , अक्षम , अनाथ बच्चों की निःशुल्क उत्तम शिक्षा हेतु ‘ बाल उत्थान विद्यालय ‘ का वर्ष 2014 से व्यापक स्तर पर संचालन कर रहा है । जिसमे सभ्य समाज की सहृदयता एवं सहयोग से झुग्गी बस्ती के 900 से अधिक बच्चों को संस्थान निःशुल्क उत्तम शिक्षा , यूनिफॉर्म , कॉपियां , पुस्तकें , स्टेशनरी ,अल्पाहार आदि प्रदान करने के साथ-साथ सुसंस्कारों एवं जीवनमूल्यों से प्रशिक्षित कर उच्च मानवीय मूल्यों के आधार पर जीवन जीने वाले मनुष्य के रूप में श्रेष्ठ नागरिकों का नवनिर्माण कर रहा है ।

सुखदा सिलाई केंद्र
सुखदा सिलाई केंद्र के माध्यम से संस्थान अति निर्धन वर्ग की बालिकाओं एवं महिलाओं को निःशुल्क सिलाई प्रशिक्षण देकर उन्हें आत्म निर्भर स्वरोजगार से लाभान्वित करने का महान प्रयास कर रहा है । समय-समय पर निःशुल्क स्वास्थ्य परीक्षण शिविर , वृद्धजन सेवा-सम्मान अभियान , स्वच्छता अभियान तथा सामाजिक समरसता एवं सद्भाव यात्रा द्वारा समाज कल्याण के क्षेत्र में संस्थान अपना अद्भुत योगदान प्रस्तुत कर रहा है ।

ऋषि- विद्या ध्यान सत्र
संस्थान श्रद्धेय आचार्यश्री के सान्निध्य में ऋषि- विद्या ध्यान सत्र, योगाभ्यास कार्यशालाएं, आध्यात्मिक प्रवचन सत्र एवं अन्य अनेक भारतीय एवं पाश्चात्य धर्म- दर्शन के एक दिवसीय सत्र देश-विदेश में भिन्न-भिन्न स्थानों पर आयोजित करने में सक्रिय है ।

पुरातन ऋषियों की अखण्ड तपस्या से उत्पन्न दुर्लभ-गूढ़तम विद्याओं एवं सद्ज्ञान को अपनी जन्म-जन्मांतर की साधना एवं तपस्या से अर्जित कर मानव कल्याण हेतु धरा-धाम पर आए ऋषिप्रज्ञ श्रद्धेय आचार्यश्री शिवांश जी महाराज । श्रद्धेय आचार्यश्री एक ऐसे युगपुरुष हैं जो ब्रह्माण्डीय ऊर्जा एवं आत्मप्रकाशित शक्तियों के माध्यम से मनुष्य को सांसारिक कष्ट- क्लेश से मुक्त होने का पथ प्रदर्शित करके उसे आत्मप्रकाश, आत्मशान्ति, दिव्यप्रेम , सामाजिक सद्भाव एवं परम कल्याण के दिव्य- प्रकाश से आलोकित कर रहे हैं । पथ-भ्रमित मानव को अपनी दिव्यचेतना के प्रकाश से सन्मार्ग का ज्ञान करानेवाले पूज्य आचार्यश्री संयम , साधना, सद्भाव , समर्पण, एवं सात्विकता के अनुकरणीय आदर्श हैं । पूज्य आचार्यश्री वेदादि शास्त्र तथा ऋषियों की विशाल ज्ञान- सम्पदा का गहन अध्ययन, चिंतन , मनन एवं अनुभूतिगम्य साधना करके सवा लाख श्लोकों से युक्त विश्व के विशालतम ग्रंथ महाभारत पर शोधकार्य करके डॉक्टरेट (पीएच.डी.) की उपाधि प्राप्त हैं ।
श्रद्धेय आचार्यश्री भारतीय ऋषिज्ञान तथा पाश्चात्य विज्ञान एवं दर्शन का गहन अध्ययन करके समाज में व्याप्त अंधविश्वास , रूढ़िवादी कुपरम्पराएं ,कुप्रथाएं तथा पाखण्डों का खण्डन करते हुए अध्यात्म एवं विज्ञान के समन्वित रूप के प्रयोग द्वारा मानवमात्र के कल्याण हेतु संकल्पित हैं ।
सदगुरु के निर्देशन में प्राप्त ऋषियों की साधनाजन्य विद्याओं को मानवकल्याण के निमित्त प्रयोग करने हेतु श्रद्धेय आचार्यश्री ने विश्व बंधु सेवा संस्थान की स्थापना की । जिसका उद्देश्य उच्च आध्यात्मिक आदर्शों पर मानव सेवा , सामाजिक सद्भाव तथा मनुष्य के अन्दर देवत्व के भाव जागृत करना है । पूज्यश्री के उदबोधन एवं ऋषि-विद्या प्रयोग मानवता के पथ से भ्रमित अथवा जीवन-लक्ष्य को खोजनेवाले अबोधजनों के लिए आज अद्भुत चमत्कारी जीवन संजीवनी सिद्ध हो रहे हैं । ऐसे दिव्यात्मा पूज्य आचार्यश्री के सात्विकता , आध्यात्मिकता , दिव्यता , एवं पावनता से भरे आशीष हमें जीवनभर आन्तरिक प्रसन्न्ता से परिपूर्ण करने में सहज सक्षम हैं ।
ऋषिप्रज्ञ श्रद्धेय आचार्यश्री शिवांश जी महाराज
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